निर्माता टी पी अग्रवाल और अभय सिन्हा ने इम्पा के चुनाव से पहले अपनी टीम मीडिया को बताई
टी पी अग्रवाल और अभय सिन्हा ने अँधेरी के द क्लब में पार्टी रखी
जहाँ इन्होने अपनी टीम को मीडिया और मेहमानों
से रूबरू करवाया।इस इवेंट में ५००
से ज़्यादा लोग आये। कॉमेडियन सुनील पाल, रवि किशन, मोनालिसा, अनारा गुप्ता, राजू मवानी, विजय बंसल, अमित, अशोक पंडित, दुर्गा प्रसाद और कई हिंदी व भोजपुरी जगत के कलाकार और निर्माता आए। २९ सितंबर को होने वाले इम्पा एलेक्शन के बाद टी पी अग्रवाल की टीम का निम्नलिखित मुद्दों को
उठाने का
वादा किया -
1.सेंसर बोर्ड के निरंकुश रवैये को
मिनिस्ट्री ऑफ़ इंफोर्मेशन एंड ब्रॉडकास्टिंग और सरकारी महकमे तक पहुँचाना और विशेष
रूप से सेंसर बोर्ड की कठोरता के विरुद्ध आवाज़ उठाना और अभिव्यक्ति के बुनियादी
अधिकार को बचाना
2. एनिमल वेलफेयर बोर्ड और इसके नियमों से लड़ना, जिनके कारण जानवरों के साथ फिल्म बनाना
असंभव जैसी बात हो गई है
3. डिजिटल प्लेयर्स से दाम कम करने के मामले को उठाना, जिसमे शो का चार्ज, ट्रेलर दिखाने का चार्ज और डिजिटाइजेशन
शामिल हैं इसमें यू एफ ओ का मामला भी है जो चार्ज बढ़ाता जा रहा है जिसके कारण छोटी
फिल्मे रिलीज़ नहीं हो पातीं
4. कॉर्पोरेट के खिलाड़ियों के ख़िलाफ़ लड़ना जिन्होंने ९० प्रतिशत
कारोबार को निगल लिया है और अब वह छोटे और स्वतंत्र निर्माताओं से बचे हुए १०
प्रतिशत बिज़नस को भी छीन रहे हैं
5. इम्पा हॉउस में एक प्रिविव थेटर बनाना ताकि मेंबर्स अपनी
फिल्मे प्रति स्क्रीन मात्र ४५०० में दिखा सकें
6. सच्ची प्रतिभाओं को इनाम से नवाज़ने के लिए एक सालाना
अवार्ड्स नाइट्स का आयोजन।
7. गुजराती, मराठी और भोजपुरी
सहित सभी रीजनल भाषाओँ की फिल्मो के निर्माताओं की समस्याओं को हल करना ताकि सरकार
से मिलने वाली सब्सिडी उन्हें प्राप्त हो सके.
8. दूरदर्शन के साथ निर्माताओं की समस्याओं को उजागर करना ,डीडी उर्दू,डीडी किसान और डीडी कश्मीर के प्रोग्राम
एग्रिमेंट्स सहित प्रसार भारती के साथ विचाराधीन कई महत्वपूर्ण समस्याओं को
उभारना। डीडी नार्थ ईस्ट और डीडी के दूसरे चैनल्स को खुलवाना। प्रसार भारती के
प्रोग्राम में फंडिंग के लिए मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफेयर्स को प्रेज़ेन्टेशन देना।
9. सभी सैटेलाईट चैनलों से उन फिल्मो के सैटेलाइट राइट्स लेने
के बारे में बातचीत करना जिन्हे उन्होंने रोक रखा है जिस की वजह से छोटी फिल्मो और
कम बजट की फिल्मो के लिए समस्याएं जन्म लेती हैं। चैनलों से फिल्म के प्रोमो कम
चार्ज पर चलाने के सिलसिले में भी बात करनी है।
1०. मल्टीप्लेक्स थेटर्स से कम बजट वाली फिल्मो को दिखाने के
सम्बन्ध में बातचीत करना।सेंसर बोर्ड द्वारा पास सभी फिल्मो को मल्टीप्लेक्स
थेटर्स में दिखाया जाना अनिवार्य बनाया जाय क्योंकि इनके पास तीन या उनसे ज़्यादा
स्क्रीन्स होते हैं और इन दिनों ज़्यादातर शहरों में सिंगल स्क्रीन थेटर नहीं होते।
किसी भी कारोबार की मोनोपॉली करना कानून के ख़िलाफ़ है। मल्टीप्लेक्स ने एक अजीब
स्थिति पैदा कर दी है और इंडिविजुअल प्रोड्यूसर्स का शोषण कर रहे हैं हम इनके
खिलाफ लड़ेंगे .
11. इंडिविजुअल प्रोड्यूसर्स के लिए पब्लिसिटी डिस्प्ले चार्ज और
मल्टीप्लेक्स थेटर के द्वारा ट्रेलर दिखाने का चार्ज जल्द से जल्द बंद होना चाहिए
12. 2 के और 4 के चार्ज हफ्ते के हिसाब से लगाया जाना चाहिए
मल्टीप्लेक्स में कुछ हफ्ते बाद इस चार्ज को कम किया जाना चाहिए ताकि रिलीज़ के तीन
चार हफ्ते बाद छोटी फिल्मे प्रदर्शित हो सकें।
13 . प्रिंट मीडिआ विशेष रूप से टाईम्स ऑफ़ इंडिया से अनुकूल रेट के
सिलसिले में बातचीत करना।
सभी सदस्यों के लिए
क़ानूनी मदद उपलब्ध है एक ऑफिशियल एडवोकेट हैं और एक लीगल कन्सल्टन्ट की नियुक्ति हो चुकी है इससे सदस्यों को
क़ानूनी सहायता लेने में मदद मिलेगी और वह भी बिना लीगल
फ़ीस दिए हुए.
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