सलमान भाई मेरे लिए लक्की हैं : सिंगर शबाब साबरी
बॉलीवुड के मशहूर प्ले सिंगर शबाब साबरी इन दिनों बुलंदिओं पर हैं अनीस
बज़्मी की फिल्म वेलकम बैक में उनका गाना "नस नस में"ज़बरदस्त
हिट हुआ है और इसी साल उनकी फिल्मे "सिंह इज़ ब्लिंग"और "प्रेम रतन धन
पायो"रिलीज़ हो रही हैं जिनमे
उनके ज़बरदस्त गीत हैं एक मुलाकात शबाब
साबरी से ...
० आप कहाँ से बिलॉंग करते हैं और किस
उम्र से आपने ट्रेनिंग लेनी शुरू की?
-- मेरा जन्म ६ जुलाई १९७९ को
सहारनपुर में हुआ। मेरे पिता इक़बाल साबरी और अंकल अफ़ज़ाल साबरी विख्यात
क़व्वाली और सूफी सिंगर्स रहे हैं। घर में हु मौसिकी का माहौल था एक तरह से
बचपन से ही मैंने ट्रेनिंग लेनी शुरू कर दी लेकिन १४ साल की उम्र से
उस्ताद रशीद खान साहेब से मैंने प्रोपर ट्रेनिंग का आरम्भ किया बाद में मैंने
अपने वालिद साहेब के साथ और चाचा जान के साथ लाईव शोज़ में गाया जिससे मेरे
हौसले को पंख मिले और मैं मक़बूल होता गया
० बॉलीवुड में आपकी शुरुआत किस मूवी से
हुई?
-- मैंने सलमान भाई की फिल्म
"जब प्यार किया तो डरना क्या"से अपना फ़िल्मी करिअर शुरू किया था जो १९९८
में सिनेमा घरों में पेश की गई थी साजिद वाजिद का संगीत था और अपने
वालिद और चचा के साथ मैंने भी "तेरी जवानी बड़ी मस्त मस्त है"गाया था। यह नगमा गाने के बाद मेरे पास बहुत सी फिल्मो
में गाने की पेशकश आई और ज़ाहिर सी बात है कि उसके बाद मैंने पीछे मुड़कर
नहीं देखा। मैं समझता हु कि सलमान भाई मेरे लिए लक्की हैं।
० अब तक आपके कितने गाने हो गए होंगे?
-- मैं बहुत खुश हूँ कि
मैंने सौ से ज़्यादा गाने गा दिए हैं जिनमे दर्जन भर गीत ज़बरदस्त हिट हैं।
"दबंग"बोल बच्चन"और "एजेंट विनोद"जैसी फिल्मो में गाये मेरे गीतों को लोगों ने बेहद सराहा है जिससे मेरे हौसला बढ़ा
है। इसके अलावा मैंने "तेज़"वीर"डैंजरस इश्क"पेज थ्री
"और "पिक्चर अभी बाकी है"में भी गाने गाये हैं।
० आप अपने कैरियर बनाने में किन का
शुक्रिया अदा करना चाहेंगे?
-- कैरियर के इस मुकाम पर मैं
हिमेश रेशमिया का भी शुक्रिया अदा करना चाहूंगा जिन्होंने मुझसे बहुत
सारे गाने गवाए और मुझ पर विश्वास रखते हुए मुझे मौके देते रहे। साजिद
वाजिद और हिमेश रेशमिया के साथ मैंने सबसे ज़्यादा काम किया है और मैं खुद
को बड़ा खुशनसीब मानता हूँ कि मुझे इन संगीतकारों के साथ काम करने का मौका
मिला।मैं एक और नाम लेना चाहूंगा और वह हैं हिमांशु झुनझुनवाला वह मुंबई
में मेरे बहुत अच्छे दोस्त हैं और मेरी कामयाबी में उनका भी बड़ा हाथ है
क्योंकि वही वह शख़्स हैं जिन्होंने मुझे मायानगरी में टिके रहने की सलाह
दी।
० आप खुद को कैसे अलग रख पाते हैं अपनी
एक विशिष्ट पहचान बनाना भी मुश्किल काम होता है?
-- मैने अपनी गायकी में
वैरीएशन का खास ख्याल रखा है एक तरफ मैंने सूफी गाने गाये हैं तो दूसरी तरफ
ठुमरी भी गाई है ग़ज़ल भी गाई है तो रोमांटिक नग्मे भी गाये हैं क्लासिकल गीत को
भी आवाज़ दी है।
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