डबिंग हिंदी फिल्मों की ताकत

बेशक मनोरंजन उद्योग ने हिंदी की हैसियत और ताकत को समझा है इसीलिए डबिंग फिल्मों के साथ अब डबिंग के क्षेत्र में हिंदी का बाजार टीवी चैनलों में भी दिख रहा है। डिस्कवरी, हिस्ट्री या नैशनल ज्योग्राफिक जैसे चैनलों के कार्यक्रम अब अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी में भी दिखाए जा रहे हैं। हालांकि डब फिल्मों या कार्यक्रमों की भाषा यांत्रिक और कृत्रिम सी है और भाषा के पहलू पर ज्यादा काम नहीं किया जा रहा। लेकिन हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं के बलबूते हॉलीवुड स्टूडियो अच्छी कमाई कर रहे हैं। बॉलीवुड से जुड़े खिलाड़ी इस बात से इनकार नहीं करते हैं कि अब भारतीय दर्शक हॉलीवुड के कम मशहूर अभिनेता और निर्देशकों को भी पहचानने लगे हैं। फिल्म कारोबार विश्लेषक तरण आदर्श कहते हैं, 'दर्शकों को हॉलीवुड की कॉमेडी, ऐक्शन और एडवेंचर फिल्में पसंद आ रही हैं। दरअसल भारतीय दर्शक अब ज्यादा परिवक्व है। कारोबारी आंकड़ों के लिहाज से भी इनका प्रदर्शन पहले के मुकाबले बेहतर हुआ है।

क्या हॉलीवुड स्टूडियो वास्तव में हिंदीभाषी बाजार पर छाने में पूरी तरह सफल रहे हैं? तरण आदर्श मानते हैं कि सफलता का पैमाना उन फिल्मों पर निर्भर करता है जिनकी डबिंग की जा रही है। उनका कहना है, 'कमाई के लिहाज से भी हॉलीवुड की स्पाइडरमैन, बैटमैन और एवेंजर्स सीरीज की फिल्में बॉलीवुड की उम्दा फिल्मों से ज्यादा पीछे नहीं हैं। बेशक बॉलीवुड और हॉलीवुड की फिल्मों के बीच का अंतर कम हो रहा है क्योंकि भारतीय दर्शक अब दुनिया भर की फिल्में देख रहे हैं। बॉलीवुड़ के जानकार कहते हैं, 'भविष्य में हॉलीवुड फिल्मों का बाजार बढऩे से डब फिल्मों का योगदान बढ़ेगा और छोटे व मझोले शहरों के दर्शकों की हॉलीवुड फिल्में देखने की ख्वाहिश पूरी होगी।'

Comments

Popular posts from this blog

पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होळकर चित्रपटाचे कथानक पूर्ण! - डॉ मुरहरी सोपानराव केळे

आते ही छा गया यश कुमार की फिल्म का ट्रेलर