डेल भगवागर और उनके कामयाब फिल्मी सितारे

भीतर से हर इंसान एक
जैसा ही होता है। उनके पास काम हो या ना हो लोगों की उनसे उम्मीद यही जुड़ी रहती है कि वे
हमेशा वैसे ही दिखते रहें जैसे वे
परदे पर दिखते हैं। कहीं ना कहीं उन्हें इस बात का एहसास रहता
है कि वे एक दोगली
और नकली जिंदगी जी रहे हैं। यह दबाव ही कभी घबराहट की शक्ल ले लेता है, कभी अवसाद के रूप में जमा हो जाता है और
कई बार सितारे इसी दबाव से
भागने के लिए आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते हैं। भगवागर ने
बताया जिन कलाकारों
के साथ उन्होंने काम किया है, उनमें भी उन्होंने कई बार यह घबराहट महसूस
की है। सितारों का जीवन बाहर से जितना आसान और खुशहाल दिखता है अंदर से
यह उतना ही असुरक्षित महसूस कराने वाला है।
वह मानते हैं कि जिया
जैसे कम कामयाब कलाकारों के साथ यह वजह और भी बड़ी हो सकती है कि उनका मुकाबला सिर्फ सफल
अभिनेत्रियों के साथ तक ही सीमित नहीं
रह जाता, बल्कि
हर आने वाली नई अभिनेत्री उन्हें टक्कर देती है।
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