न्यूकमर के लिए हर स्टेप पर स्ट्रगल है – योगेश कुमार
फिल्म लाईन में सबकुछ संभव है, क्योंकि असंभव कुछ भी नहीं है। इसके तहत निर्माता-निर्देशक सुशीकैलाश की पहली हिंदी फिल्म ‘दिल साला सनकी’ में योगेश कुमार हीरो बने है, जबकि योगेश कुमार पेशे से एक डॉक्टर है।
वैसे देखा जाए तो योगेश कुमार के भीतर एक्टर बनने के सभी गुण थे इसीलिए वह हीरो बने है। एक्टिंग, ब्लैक बेल्ट और डांसिंग की बाकायदा प्रशिक्षण लेने के बाद ही योगेश कुमार ने फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा है। इतना ही नहीं तो योगेश कुमार ड्रामा में काम करते थे और नाटक ‘अंधायुग’ में एक्टिंग करते हुए निर्माती सुशीकैलाश ने देखा था।
जब निर्माती सुशीकैलाश ने अपनी पहली फिल्म ‘दिल साला सनकी’ के ऑडिशन रखा था, तब योगेश कुमार का भी टेस्ट लिया था, लेकिन उस वक्त हीरो के रोल के लिए योगेश कुमार फिट नहीं थे, क्योंकि वह थोडे-से मोटे थे। इसलिए सुशीकैलाश जी ने योगेश को पांच माह में अपना वेट कम करने को कहा और धमकी दी की, अगर वेट कम नहीं हुआ तो मैं किसी और को हीरो ले लूंगी।
सुशीकैलाश जी की धमकी काम आ गई और यह रोल पाने के लिए योगेश ने अपना वजन कम किया। इतना ही नहीं तो इस एक्शन ओरिएटेंड फिल्म के लिए फाइटिंग का ट्रेनिंग भी लिया।
योगेश कुमार का मानना है कि न्यूकमर के लिए हर स्टेप पर स्ट्रगल है। पहले तो फिल्म इंडस्ट्री मे एंट्री पाने का स्ट्रगल शुरु होता है और जब कहीं जाकर रोल मिलता है तो उसमें अच्छा काम परफॉर्म करने का स्ट्रगल होता है। इतना ही नहीं तो इस इंडस्ट्री में किसी भी न्यूकमर पर पैसा लगाने का रिस्क कोई लेता नहीं। लेकिन मैं बहुत लकी हूं कि निर्माती सुशीकैलाश जी ने मुझ पर भरोसा करके इतनी बड़ी रिस्क ली है।
फिल्म के एक हीरो को खड़ा करने के लिए हजारों लोगों की मेहनत होती है। हीरो का कॉस्ट्यूम, मेकअप-मैन, फाइट मास्टर से लेकर स्पॉट बॉय तक कई लोग दिन-रात मेहनत करते है। ऐसा ही हुआ है अभिनेता योगेश कुमार के साथ। इस बारे में योगेश का कहना है कि सच कहूं तो फिल्म बनाने की प्रक्रिया में हजारों लोग एकसाथ काम करते है और मुझे हीरो बनाने में उनका ही सबसे बड़ा योगदान है।
फिल्म ‘दिल साला सनकी’ बहुत ही अच्छी फिल्म है। दर्शकों को जरुर पसंद आएगी।
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