सरस्वती नंदन परम पूज्य आचार्य विजय रत्नसुंदरसुरी महाराज साहेब का परिचय



परम पूज्य आचार्य विजय रत्नसुंदरसुरी को किसी परिचय की जरुरत नहीं है। यह हीरे जैसे मनमोहक और मानवता की सुंदरता और आकर्षणशीलता के रुप में भारत देश के महान जैन संत है। साथ ही उन्होंने अब तक विदेशों की यात्रा नहीं की है, तो भी उनके विचार और अनुयाई पूरी दुनिया में है, जिसकी कोई भौगोलिक सीमा नहीं है।

आचार्य महाराज देवी सरस्वती के आशीर्वाद से संपन्न है और उन्होंने अब तक अपनी मातृभाषा (गुजराती) में २९८ पुस्तकें लिखी है। उनकों सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स' से सम्मानित किया गया है। इनके कई पुस्तकों को अंग्रेजी, हिंदी, मराठी, सिंधी, उर्दू, फ्रेंच आदि भाषाओं में अनुवादित किया गया है और पूरे देश भर में ६ मिलियन पुस्तकें वितरीत की गई है। उनके शब्दों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अरिहंत टीवी , पारस टीवी और सोहम टीवी के माध्यमों से सुना जा रहा है। कई लोगों को उनके भाषण के माध्यम से जीवन में लाभ हुआ है।

सिर्फ बुद्धिक्षमता से समाज को बदलने का संतुलन साधा नहीं जा सकता है, विचारों की स्पष्टता के साथ, विज्ञान के साथ अध्यात्मवाद का संतुलन होने से समाज में बदलाव हो सकता है।

उनके अनुसार, खुश आदमी के लिए कुछ जरुरतें होती है और उसे दूसरों के बारे में जरुरत नहीं है। एक जैन संत होने के नाते, उसकी पवित्रता के साथ सख्त नियम और कानून है। वह नंगे पैर चलता है और उन्होंने साल १९६७ से स्नान नहीं किया है, जब उन्होंने संत धर्म की दीक्षा ली थी। वह खाना और पानी सुर्यास्त से सुर्योदय के बीच लेते नहीं। उनके मुताबिक, अमिर व्यक्ति वहीं है जिनकी जरुरतें सीमित मात्रा में है। साथ ही वह एक लेखक और वक्ता ही नहीं है, बल्कि एक सच के प्रेरक है और उनके अनुशासन और समर्पण भाव से आप अधिक सशक्त बन सकते है।

फिलहाल, पिछले चार सालों से वह दिल्ली में है, उनकी मुलाकात सत्तारुढ़ और कई अन्य पार्टीयों के नेताओं से हुई और उन्होंने शांती का संदेश फैलाने के साथ राष्ट्र और समाज की भलाई के लिए दिशा दिखाई है।

उनके विचाराधारा के अनुसार, समाज और राष्ट्र के विकास तब होगा, जब नई पीढी़ के मू्ल्यों का वैज्ञानिक विकास के साथ मन और शरीर में आध्यात्मिक विकास होना चाहिए। अपने देश में घोटालें करने वालों की बात करने की बजाय जमीनी स्तर पर लोगों की परवरिश पर ध्यान पर देना चाहिए।

गुरु महाराज के अनुसार, लोग फरक महसूस करते है, जब उन्हें सही दिशा और सही रास्ता दिखाया जाए।

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