सुपरफ्लॉफ फिल्म 'बैंक चोर'

सुपरफ्लॉफ फिल्म 'बैंक चोर'
रेटींग —
इस फिल्म में एक बैंक रॉबरी की कहानी दिखाई गई है और एक बैंक में चंपक और जुगुनू दो चोर चोरी करने के लिए आते है और फिर शुरु होती है फिल्म की धम्माल-मस्ती का अनोखा खेल.
स्टोरी – कहानी बहुत ही बचकानी है और नयापन दिखाने की कुछ भी कोशिश नहीं की है।
स्क्रिनप्ले – डायलॉग – कमजोर डायलॉग है और स्क्रिनप्ले इतना बचकाना है कि फिल्म देखते वक्त ऑडियन्स कनफ्यूज होती है। लेखक को पता नहीं है कि दर्शकों को क्या चाहिए। फिल्म देखते वक्त दर्शकों के मन में कई तरह के सवाल पैदा होते है, जिनके जवाब अंत तक नहीं मिलते। फिल्म में कॉमेडी का तड़का दिया है, लेकिन ऑडियन्स को हंसी नहीं आती, क्योंकि फिल्म में ह्यूमर नहीं है।
एक्टिंग –  रितेश देशमुख वैसा तो अभिनेता अच्छा है, लेकिन इस फिल्म में सीन काफी कमजोर थे, इसलिए कमजोर अभिनय देखने को मिला है। विवेक आनंद ओबेराय का रोल काफी बकवास था। उपेन्द्र लिमये और विक्रम गोखले ने अच्छा काम किया है। 
डायरेक्शन – बम्पी का डायरेक्शन काफी कमजोर है। पब्लिक को हंसा नहीं पाए।
गीत-संगीत, कोरियोग्राफी, बैकग्राऊंड म्यूजिक प्रमोशन सांग है, फिल्म में गाना नहीं है।
बॉक्स ऑफिस कलेक्शन शुक्रवार को ओपनिंग बहुत कमजोर रही है। पहले दिन ५-१० प्रतिशत ओपनिंग थी और संडे के लिए कोई खास बुकिंग नहीं है, क्योंकि रविवार को इंडिया-पाकिस्तान का क्रिकेट मैच है और दर्शक मैच छोड़कर फिल्म देखने नहीं जाएंगे।
बैनर – बड़े बैनर की फिल्म है, इसलिए सैटेलाइट, डिजिटल और म्यूजिक राइट्स बेचकर फिल्म की लागत वसूल की जा सकती है, लेकिन यह फिल्म सिनेमाघरों में लोगों का दिल नहीं चूरा पाई, इसलिए ऐसी फिल्मों को सिनेमाघरों में रिलीज नहीं करनी चाहिए।


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