इंटरव्यू - निर्माता जे डी मजीठिया

धारावाहिक बहनें को लेकर क्या कहेंगें ?
यह कोई युनिक धारावाहिक नहीं है, मगर हमारी प्रोडक्शन कंपनी से अब तक का यह हटकर धारावाहिक है। अब तक हमारी कंपनी धारावाहिकों में कहानी की बजाय चरित्र तथा यथार्थ को ज्यादा महत्व देती आई है। लेकिन बहनें पूरी तरह से पापुलर जॉनर का धारावाहिक है। इस बार हम लार्जर देन लाइफ व मसाला के साथ सॉप की तरह ढेर सारी कहानियां सुनाएंगे। इस बार हमने नए चेहरे पेश किए हैं। इससे पहले हम थिएटर से जुड़े कलाकारों को ही प्रधानता देते रहे हैं। केतकी दवे को हमने एक चुनौतीपूर्ण किरदार दिया है। हमारी प्रोडक्शन कंपनी हैट्स आफ प्रोडक्शन का नाम आते ही लोग एक बेहतरीन हास्य धारावाहिक की आपेक्षा करने लगते हैं, पर हमने अपनी इस इमेज को कुछ समय पहले जी टीवी पर प्रसारित धारावाहिक श्री से तोड़ने का प्रयास किया था।
नए कलाकारों

नए कलाकारों के साथ काम करते हुए हमें ज्यादा वक्त देना पड़ रहा है। वैसे हमने शूटिंग शुरु करने से पहले सभी कलाकारों के साथ एक वर्कशॉप भी किया था।
बहनें की खासियत क्या है ?
हमारी पूरी टीम काफी बेहतर है। इस धारावाहिक के लिए हमने कला निर्देशक उमंग कुमार की मदद से खास तौर पर तीन बड़े बड़े सेट लगाए हैं। इसकी पटकथा राजू जोशी, नितेश शाह व स्वाती लिख रही हैं, जबकि संवाद रेखा मोदी लिख रही हैं। निर्देशन की जिम्मेदारी समीर कुलकर्णी ने संभाली है।
धारावाहिक बहनें की कहानी क्या है ?
धारावाहिक की कहानी चार सगी बहनों से इर्दगिर्द घूमती है। नाडियाद के गुजराती परिवार की पूरवा, स्मृति, अकांक्षी, अनोखी यह चार बहनें हैं, जो कि एक दूसरे के बहुत करीब हैं। यह सभी बहनें अपनी संस्कृति से पूरी तरह जुड़ी हुई हैं। इनके माता-पिता सेवाती लाल शास्त्री और रेवती शास्त्री ने अपनी बेटियों को गर्व से साथ पाला है। उनके लिए यह बेटियां कर्ज नहीं बल्कि संपत्ति है। कहानी इन चारों बहनों के जीवन के सुख-दुख, प्रताड़ना, गम आदि की एक यात्रा है। यह एक एसी भावनात्मक कहानी हैं जो इन बहनों के आपसी प्यार, लगाव, बंधन, त्याग आदि का चित्रण करती है।
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