अभिनेत्री लवलीन थडानी ने प्ले ‘अमृता – ए सबलाइन लव स्टोरी’ के बारे में बातचीत की
डॉ. लवलीन थडानी ने हाल ही में अमृता प्रीतम के जीवन पर आधारित प्ले‘अमृता – ए सबलाइन लव स्टोरी’ का मंचन किया था, जिसमें अमृता का चरित्र निभाया है। अमृता के बारे में लवलीन से विस्तार से बातचीत की गई।
हाल ही में मुंबई के पृथ्वी थिएटर में सुप्रसिद्ध ‘गरम हवा’ के निर्देशक एम एस सथ्यू ने प्ले ‘अमृता – ए सबलाइन लव स्टोरी’ का मंचन किया था। यह भारतीय प्ले १०० मिनिट का है, जो पद्म विभूषण अमृता प्रीतम की आत्मकथा पर आधारित है। जिन्होंने अपने शर्तों पर जिंदगी जी ली। यह प्ले उनके लिए अनूठी श्रद्धाजलि है, जो आजादी के लिए एक पर्याय थी। डॉ. लवलीन थडानी वैसे तो एक संवेदनशील कवियित्री, फिल्म निर्माती, फोटोग्राफर, शिक्षक और एक सामाजिक कार्यकर्ता है, जिन्होंने अमृता प्रीतम का चरित्र निभाया है। लवलीन थडानी ने एम एस सथ्यू की फिल्म ‘सुखा’ में हीरोइन का रोल किया था, लवलीन के अपोजिट में टॉम आल्टर थे। अमृता के अत्याधिक सोच को कवियित्री लवलीन ने दिखाने की कोशिश की है, जबकि उन दोनों की उम्र में चार दशकों का अंतर था। अमृता के जीवन के बारे में लवलीन ने विस्तार से बातचीत की। पेश है साक्षात्कार के मुख्य अंश :
प्ले ‘अमृता – ए सबलाइन लव स्टोरी’ में काम करने का अनभुव कैसा रहा ?
बहुत ही अच्छा अनुभव रहा और एक बड़ी चुनौती भी थी। मैं अमृता को व्यक्तिगत से रुप से जानती थी और हम दोनों केवल १० घरों की दूरी पर रहते थे। वह के-२५ हौज खास एनक्लेव और मैं के-३६ हौज खास एनक्लेव में रहती थी। मैं उसे बचपन से जानती थी और उसने कभी भी पीछे मूडकर देखा नहीं। सो, अमृता का कैरेक्टर निभाना मेरे लिए दुगुनी चुनौती थी, क्योंकि मैं उसके सारे व्यवहार, उसके हाव-भाव से पूरी तरह से वाकिफ थी। मैंने उसी हिसाब से अमृता को पेश किया। सभी मोनोलॉग और कविता याद करने में कड़ी मेहनत और वक्त लग गया। यह प्ले उनकी आत्मकथा पर आधारित था, रसीदी टिकट, मैं सभी बातें याद रखती थी और उसके लिए मैंने काफी रिहर्सल की, जिसके लिए मुझे काफी मेहनत करनी पड़ी। कई रातें सोते नहीं थी। जिसकी मेहनत अब रंग लाई है।
आप और अमृता प्रीतम के बीच 40 साल की उम्र का अंतर था और आपकी दोस्ती गहरी थी, इसके बारे में बताइए ...
अमृता जी और इमरोझे जी मेरे पड़ोस में रहते थे और मेरी उसके साथ मुलाकात तब हुई थी, जब उन्होंने मेरी कविता कादम्बिनी में पढ़ी और मुझे मिलने के लिए बुलाया था। उसके बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा। हमारी उम्र में एक बड़ा अंतर होने के बावजूद करीब दोस्त बन गए। वह मुझे हमेशा बहुत सम्मान देती थी और संवेदनशीलता के साथ व्यवहार रखती थी। मैं उसके बिस्तर के बगल में कुर्सी पर बैठकर कई घटों तक वर्ल्ड लिटरेचर, फिलोसॉफर, सुफीस्म और ओशो पर बातें करते थे। मैं खुद साहित्य की छात्रा थी, इसलिए मैं उनके साथ सार्थक चर्चा और विचार-विमर्श का आनंद लेती थी। हम कई घटों तक बातें करते और समय निकल जाता था। हम व्यक्तिगत मुद्दों के साथ लेखन और मेरी कविता पर बातें करे थे। एक दिन ऐसा हुआ था कि मेरी जुगलबंदी कविता थी, जो मेरी पहली कविता पुस्तक ‘मोमेन्टस’ (विकास पब्लिशिंग द्वारा प्रकाशित अंग्रेजी में) में थी और जिसे अमृता प्रीतम और डॉ. गिरीजा व्यास ने संयुक्त रुप से जारी किया था। मैं खुद को भाग्यशाली समझती हूं कि मैंने इमरोझे जी और अमृता जी के साथ खाना खाया। उन्होंने बहुत ही लाजवाब चपाती देशी घी के साथ बनाई थी और इमरोझे जी ने लाजवाब पंजाबी दाल और सब्जी बनाई थी। मेरी जगह उनके दिल में थी। उनके घर पर उनके साथ प्यार, रचनात्मकता और कई सारे सुखद अनुभव लिए। वैसे तो, अमृता जी ने मेरा दो बार ‘नगमिनी’ मैग्जीन के लिए इंटरव्यू लिया और मेरी कुछ कविताएं भी प्रकाशित की। मैं खुद को बहुत खुशनसीब समझती हूं कि मेरी एक महान लेखक के रुप में सराहना हुई। मेरी नवीनतम कविता संग्रह ‘मेरी जमी, मेा आसमां’ (हिन्दुस्तानी में राज कमल प्रकाशन द्वारा) को अमृता जी ने लिखी थी और कविताओं के रेखाचित्र इमरोझे ने किए थे। मैं उसे बहुत याद करती हूं और मुझे पता है कि वह मेरे आसपास ही है।
आपके प्ले का मंचन देश भर में कई शहरों में किया गया है, तो वहां किस तरह से पसंद किया गया ?
हां, हमारे प्ले का मंचन दिल्ली में तीन बार, गुरगावं (हरियाणा), इंदौर, पटियाला, चंडीगढ़, बैंगलोर, हैदराबाद और अब मुंबई में दो बार हुआ है। सभी जगह पसंद किया गया और शानदार प्रतिक्रिया भी मिली। मुंबई में (पृथ्वी थिएटर) सभी तीन शो पूरी तरह से पैक थे और दशर्कों ने खड़े होकर स्वागत भी किया था। इसी तरह का अनुभव अन्य शहरों में भी मिला। लेकिन मुंबई में सबसे अच्छा रिस्पॉन्स मिला। यहां पर मेरा पहला शो था और बहुत ही शानदार रहा। धन्यवाद मुंबईकर, यहां के दर्शक महान है और प्रेरणादायक भी है।
एम एस सथ्यू के बारे में बताइए ...
मेरा एम एस सथ्यू के साथ संपर्क तब हुआ था जब मैं साउथ के अभिनेता अनंत नाग के अपोजिट में हिंदी फिल्म ‘सूखा’ में मुख्य किरदार निभा रही थी और ‘बारा’ (कन्नड) में फिर से एक बार अनंत नाग के साथ काम किया था। इसके अलावा मैंने सथ्यू साहब के लिए डॉक्यूमेंटरी फिल्म में भी काम किया था। और अब अमृता प्रीतम के जीवन पर आधारित नाटक में नायिका का किरदार अदा किया है, जिसकी बहुत ही सराहना हो रही है।
हाल ही में मुंबई के पृथ्वी थिएटर में सुप्रसिद्ध ‘गरम हवा’ के निर्देशक एम एस सथ्यू ने प्ले ‘अमृता – ए सबलाइन लव स्टोरी’ का मंचन किया था। यह भारतीय प्ले १०० मिनिट का है, जो पद्म विभूषण अमृता प्रीतम की आत्मकथा पर आधारित है। जिन्होंने अपने शर्तों पर जिंदगी जी ली। यह प्ले उनके लिए अनूठी श्रद्धाजलि है, जो आजादी के लिए एक पर्याय थी। डॉ. लवलीन थडानी वैसे तो एक संवेदनशील कवियित्री, फिल्म निर्माती, फोटोग्राफर, शिक्षक और एक सामाजिक कार्यकर्ता है, जिन्होंने अमृता प्रीतम का चरित्र निभाया है। लवलीन थडानी ने एम एस सथ्यू की फिल्म ‘सुखा’ में हीरोइन का रोल किया था, लवलीन के अपोजिट में टॉम आल्टर थे। अमृता के अत्याधिक सोच को कवियित्री लवलीन ने दिखाने की कोशिश की है, जबकि उन दोनों की उम्र में चार दशकों का अंतर था। अमृता के जीवन के बारे में लवलीन ने विस्तार से बातचीत की। पेश है साक्षात्कार के मुख्य अंश :
प्ले ‘अमृता – ए सबलाइन लव स्टोरी’ में काम करने का अनभुव कैसा रहा ?
बहुत ही अच्छा अनुभव रहा और एक बड़ी चुनौती भी थी। मैं अमृता को व्यक्तिगत से रुप से जानती थी और हम दोनों केवल १० घरों की दूरी पर रहते थे। वह के-२५ हौज खास एनक्लेव और मैं के-३६ हौज खास एनक्लेव में रहती थी। मैं उसे बचपन से जानती थी और उसने कभी भी पीछे मूडकर देखा नहीं। सो, अमृता का कैरेक्टर निभाना मेरे लिए दुगुनी चुनौती थी, क्योंकि मैं उसके सारे व्यवहार, उसके हाव-भाव से पूरी तरह से वाकिफ थी। मैंने उसी हिसाब से अमृता को पेश किया। सभी मोनोलॉग और कविता याद करने में कड़ी मेहनत और वक्त लग गया। यह प्ले उनकी आत्मकथा पर आधारित था, रसीदी टिकट, मैं सभी बातें याद रखती थी और उसके लिए मैंने काफी रिहर्सल की, जिसके लिए मुझे काफी मेहनत करनी पड़ी। कई रातें सोते नहीं थी। जिसकी मेहनत अब रंग लाई है।
आप और अमृता प्रीतम के बीच 40 साल की उम्र का अंतर था और आपकी दोस्ती गहरी थी, इसके बारे में बताइए ...
अमृता जी और इमरोझे जी मेरे पड़ोस में रहते थे और मेरी उसके साथ मुलाकात तब हुई थी, जब उन्होंने मेरी कविता कादम्बिनी में पढ़ी और मुझे मिलने के लिए बुलाया था। उसके बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा। हमारी उम्र में एक बड़ा अंतर होने के बावजूद करीब दोस्त बन गए। वह मुझे हमेशा बहुत सम्मान देती थी और संवेदनशीलता के साथ व्यवहार रखती थी। मैं उसके बिस्तर के बगल में कुर्सी पर बैठकर कई घटों तक वर्ल्ड लिटरेचर, फिलोसॉफर, सुफीस्म और ओशो पर बातें करते थे। मैं खुद साहित्य की छात्रा थी, इसलिए मैं उनके साथ सार्थक चर्चा और विचार-विमर्श का आनंद लेती थी। हम कई घटों तक बातें करते और समय निकल जाता था। हम व्यक्तिगत मुद्दों के साथ लेखन और मेरी कविता पर बातें करे थे। एक दिन ऐसा हुआ था कि मेरी जुगलबंदी कविता थी, जो मेरी पहली कविता पुस्तक ‘मोमेन्टस’ (विकास पब्लिशिंग द्वारा प्रकाशित अंग्रेजी में) में थी और जिसे अमृता प्रीतम और डॉ. गिरीजा व्यास ने संयुक्त रुप से जारी किया था। मैं खुद को भाग्यशाली समझती हूं कि मैंने इमरोझे जी और अमृता जी के साथ खाना खाया। उन्होंने बहुत ही लाजवाब चपाती देशी घी के साथ बनाई थी और इमरोझे जी ने लाजवाब पंजाबी दाल और सब्जी बनाई थी। मेरी जगह उनके दिल में थी। उनके घर पर उनके साथ प्यार, रचनात्मकता और कई सारे सुखद अनुभव लिए। वैसे तो, अमृता जी ने मेरा दो बार ‘नगमिनी’ मैग्जीन के लिए इंटरव्यू लिया और मेरी कुछ कविताएं भी प्रकाशित की। मैं खुद को बहुत खुशनसीब समझती हूं कि मेरी एक महान लेखक के रुप में सराहना हुई। मेरी नवीनतम कविता संग्रह ‘मेरी जमी, मेा आसमां’ (हिन्दुस्तानी में राज कमल प्रकाशन द्वारा) को अमृता जी ने लिखी थी और कविताओं के रेखाचित्र इमरोझे ने किए थे। मैं उसे बहुत याद करती हूं और मुझे पता है कि वह मेरे आसपास ही है।
आपके प्ले का मंचन देश भर में कई शहरों में किया गया है, तो वहां किस तरह से पसंद किया गया ?
हां, हमारे प्ले का मंचन दिल्ली में तीन बार, गुरगावं (हरियाणा), इंदौर, पटियाला, चंडीगढ़, बैंगलोर, हैदराबाद और अब मुंबई में दो बार हुआ है। सभी जगह पसंद किया गया और शानदार प्रतिक्रिया भी मिली। मुंबई में (पृथ्वी थिएटर) सभी तीन शो पूरी तरह से पैक थे और दशर्कों ने खड़े होकर स्वागत भी किया था। इसी तरह का अनुभव अन्य शहरों में भी मिला। लेकिन मुंबई में सबसे अच्छा रिस्पॉन्स मिला। यहां पर मेरा पहला शो था और बहुत ही शानदार रहा। धन्यवाद मुंबईकर, यहां के दर्शक महान है और प्रेरणादायक भी है।
एम एस सथ्यू के बारे में बताइए ...
मेरा एम एस सथ्यू के साथ संपर्क तब हुआ था जब मैं साउथ के अभिनेता अनंत नाग के अपोजिट में हिंदी फिल्म ‘सूखा’ में मुख्य किरदार निभा रही थी और ‘बारा’ (कन्नड) में फिर से एक बार अनंत नाग के साथ काम किया था। इसके अलावा मैंने सथ्यू साहब के लिए डॉक्यूमेंटरी फिल्म में भी काम किया था। और अब अमृता प्रीतम के जीवन पर आधारित नाटक में नायिका का किरदार अदा किया है, जिसकी बहुत ही सराहना हो रही है।
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