इंटरव्यू - मुग्धा गोड़से
मधुर भंडारकर की फिल्म ‘फैशन’ से अपने अभिनय करियर की शुरुआत करने वाली मुग्धा गोडसे ‘ऑल द बेस्ट’ को लेकर उत्साहित हैं। इस समय वे मधुर की एक ओर फिल्म ‘जेल’ भी कर रही हैं। पेश है मुग्धा गोड़से से बातचीत :
पहली फिल्म फैशन और आल दी बेस्ट में क्या फरक है ?दोनों ही फिल्मों का जॉनर बहुत अलग है। फैशन एक गंभीर किस्म की फिल्म थी, जबकि आल दी बेस्ट पूरी तरह से हास्य फिल्म है। यह एक बेहतरीन मनोरंजक फिल्म है। इसमें बेहतरीन एक्शन के साथ-साथ हास्य भी हैं। इस फिल्म में कई कलाकारो ने पहली बार एक साथ काम किया है
‘ऑल द बेस्ट’ कॉमेडी फिल्म है। क्या आप भी मानती हैं कि कॉमेडी करना कठिन है? मैं इस बात से सौ प्रतिशत सहमत हूँ। हँसाने के बजाए आँसू बहाने वाला शॉ़ट अभिनीत करना आसान है। हास्य किरदार निभाते समय कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है और टाइमिंग का महत्व बहुत बढ़ जाता है।
‘ऑल द बेस्ट’ में बिपाशा, अजय देवगन, संजय दत्त और फरदीन जैसे कलाकार हैं। इनके बीच आपको उभरने का अवसर मिला है?मेरा रोल सशक्त है। इन कलाकारों के बीच यदि मैं अपनी छाप छोड़ती हूँ तो इसे मैं अपनी सफलता मानूँगी। मैं तो इसे अपनी योग्यता साबित करने का अच्छा अवसर मानती हूँ।
मधुर भंडारकर जैसे निर्देशक के बाद रोहित शेट्टी के डायरेक्शन में काम करना कैसा लगा? दोनों अलग तरह का सिनेमा बनाते हैं, लेकिन निर्देशक के रूप में रोहित भी कम नहीं हैं। वे हँसमुख स्वभाव के हैं, कभी गुस्सा नहीं करते। चुटकुले सुनाते हुए अपनी बात कह जाते हैं, इससे सेट पर माहौल खुशनुमा रहता है।
फिल्म जेल में किस तरह का किरदार है?इसमें मैंने साधारण सी लड़की मानसी पंडित का किरदार निभाया हैं, जो कि एयर होस्टेस है। उसके प्रेमी के साथ एक हादसा होता है। उसके बाद यदि मानसी चाहती तो प्रेमी को छोड़कर अपने कैरियर को संवारती हुई आगे बढ़ जाती, लेकिन मानसी अपने प्रेमी के साथ खड़ी होती हैं। उसकी मदद करती हैं, उसका सपोर्ट सिस्टम बनती हैं।
भविष्य में किन निर्देशकों के साथ काम करना चाहेंगी ?मुझे तो हर निर्देशक के साथ काम करना है। अलग-अलग जॉनर की फिल्में करनी हैं। अभी तो मैंने सिर्फ तीन फिल्में ही की हैं, इसलिए यह नहीं कह सकती कि किस तरह के किरदार निभाने हैं। फिलहाल तो मेरा इरादा हर तरह की फिल्मों में अलग-अलग जॉनर के किरदारों को निभाना ही हैं।
आप ज्योतिष व स्टोन आदि पहनने को लेकर निजी जीवन में कितना यकीन रखती है ?निजी जीवन में मैं ज्योतिष व स्टोन में थोड़ा बहुत यकीन रखती हूं, लेकिन विद्या की तरह पागलपन की हद तक इन सब में यकिन नहीं करती। मैंने पिछले छह सालों से पुखराज पहन रखा हैं, इससे मुझे फायदा ही हैं।
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