बॉलीवुड़ मार्केट के संपादक शंकर मराठे ने निर्देशक विनोद कापड़ी से बातचीत की
'पीहू' के डायरेक्टर विनोद कापड़ी
२० से २८ नवंबर के बीच गोवा में ४८ वें अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म
फेस्टिवल ऑफ़ इंडिया का आयोजन होने जा रहा है। इस फेस्टिवल में इंडियन पेनोरोमा की
ओपनिंग फ़िल्म 'पीहू' होगी। इस फ़िल्म का निर्देशन विनोद
कापड़ी ने किया है। विनोद इस फेस्टिवल में 'पीहू' को चुने जाने को लेकर बेहद उत्साहित
हैं और उन्होंने कहा कि इससे नए फ़िल्मकारों का मनोबल बढ़ेगा। २०१५ में फिल्म ‘मिस
टनकपुर हाजिर हो’ के बाद अब निर्देशक
और पत्रकार विनोद कापड़ी
फिल्म 'पीहू' लेकर आ गए है। इस फिल्म
को २०१७ के इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया में
स्क्रीनिंग के लिए चुना गया है। शुक्रवार, १७ नवंबर, २०१७ को मुंबई के अंधेरी में फिल्म 'पीहू' का टीझर लांच
किया गया और इस मौके पर बॉलीवुड़ मार्केट के संपादक शंकर मराठे ने निर्देशक विनोद कापड़ी से बातचीत की।
'पीहू'
की कहानी असल में क्या है ?
-
इस फिल्म की कहानी तो आज के आधुनिक और मॉर्डन जनरेशन की है और इतना ही नही तो हर
परिवार की कहानी है। सच कहें तो दिल्ली में घटीत सच्ची कहानी पर फिल्म की कहानी
आधारीत है,
लेकिन फिल्म बनाने के लिहाज से थोड़ा हेर-फार किया है। इसमें पीहू का किरदार दो
साल की बच्ची ने निभाया है। कुल १०० मिनिट के अवधि की फिल्म है और इसमें एक गाना
भी है।
एक दो
साल की बच्चे से अभिनय करवाना कितना मुश्किल था ?
- बहुत
ही चैलेंजिग काम था। पहले हमने अपने लिहाज से फिल्म की स्क्रिप्ट लिखी थी। लेकिन
एक पार्टी में हमने इस प्यारी-सी बच्ची का चुनाव किया, तो
हमने बच्चे की सोच के हिसाब से फिर से स्क्रिप्ट लिखी। इतना ही नहीं तो ५-६ माह तक
बच्ची को बाकायदा ट्रेनिंग दी और फिर फिल्म की शूटिंग की।
इस
फिल्म से क्या सामाजिक संदेश देने जा रहे हो ?
-
फिल्ममेकर तो मनोरंजन के लिए फिल्में बनाते है और हमने तो हर परिवार के लिए
सामाजिक फिल्म बनाई है। बिखरे हुए परिवार के लिए यह फिल्म बहुत ही महत्वपूर्ण है।
आज की युवा पिढ़ी कैसे मोबाईल पर फेसबुक, वॉट्सअप और ढे़र सारे सोशियल
साइट्स पर व्यस्त रहती है और अपने परिवार को टाइम नहीं दे पाती। यही सच्चाई इसमें
फिल्म में दर्शकों को देखने को मिलने वाली है।
फिल्म
सिनेमाघरों कब तक आने की उम्मीद है ?
- दिसंबर के अंत तक रिलीज करने की प्लानिंग चल रही है।
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