परदे के पीछे की कहानी
दिलीप कुमार के जीजा के आसिफ तो आलसी, फक्कड और अय्याश किस्म के इंसान थे
निर्माता के आसिफ ने अपनी फिल्मी कैरियर में सिर्फ तीन फिल्में बनाई जिसमें से केवल मुगले आजम ही सुपर-डुपर हिट रही और यह फिल्म बनाने में लगभग दस साल लग गए थे। साथ ही उस समय की यह सबसे महंगी फिल्म थी और यह फिल्म एक करोड़ पैंतीस लाख रुपए में बनी थी।
वैसे तो के आसिफ की असली पहचान तो फिल्म मुगले आजम तथा दिलीप कुमार के जीजा के रुप में हुई थी। के आसिफ तो आलसी, फक्कड और अय्याश किस्म के इंसान था, जिन्होंने अपनी जेब से किसी भी फिल्म में एक पैसा भी नहीं लगाया था। सिर्फ फाइनेंसरों के बल पर ही फिल्में बनाते रहे। इतना ही नहीं तो अपने जीजा दिलीप कुमार के कपड़े पहन कर दिन गुजारा करते थे।
निर्माता के आसिफ ने अपनी फिल्मी कैरियर में सिर्फ तीन फिल्में बनाई जिसमें से केवल मुगले आजम ही सुपर-डुपर हिट रही और यह फिल्म बनाने में लगभग दस साल लग गए थे। साथ ही उस समय की यह सबसे महंगी फिल्म थी और यह फिल्म एक करोड़ पैंतीस लाख रुपए में बनी थी।
वैसे तो के आसिफ की असली पहचान तो फिल्म मुगले आजम तथा दिलीप कुमार के जीजा के रुप में हुई थी। के आसिफ तो आलसी, फक्कड और अय्याश किस्म के इंसान था, जिन्होंने अपनी जेब से किसी भी फिल्म में एक पैसा भी नहीं लगाया था। सिर्फ फाइनेंसरों के बल पर ही फिल्में बनाते रहे। इतना ही नहीं तो अपने जीजा दिलीप कुमार के कपड़े पहन कर दिन गुजारा करते थे।
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