एक अर्थपूर्ण फिल्म है ‘भाई के खातिर’ निर्देशक अमर पाण्डेय




अमर पाण्डेय के निर्देशन में उनकी पहली फिल्म आ रही है – भाई के खातिर। इसके पहले वह दर्जन भर म्यूजिक वीडियो का निर्देशन कर चुके हैं। कोलकाता में कामकाज शुरु करने के बाद अमर मुंबई फिल्मों में अपना भाग्य आजमाने आ गए। मुंबई में आधी दर्जन फिल्मों में बतौर सहायक निर्देशक काम करते-करते उन्हें भाई के खातिर मिली। प्रस्तुत है अमर पाण्डेय से हुई बातचीत के अंश –
भाई के खातिर कैसी फिल्म बनी है ?
भाई के खातिर एक संपूर्ण पारिवारिक फिल्म है, एक अर्थपूर्ण फिल्म है, जिसमें पारिवारिक और सामाजिक मूल्यों का विशेष महत्व दिया गया है। यह दो भाईयों के आपसी प्रेम और त्याग की कहानी है। आज की तिथि में भाई-भाई के बीच दूरियां बढ़ गई हैं। ऐसे में इस फिल्म द्वारा उनके बीच के प्रेम को प्रगाढ़ करने की कोशिश की गई है। दो भाई है। बड़ा भाई छोटे के कैरियर के लिए शादी नहीं करना चाहता, उधर छोटा अपने बड़े भाई के लिए लड़की देखता जा रहा है।
कौन-कौन हैं इस फिल्म में ?
दीपक सिन्हा, सतीश सिंह. सुमोना दत्ता गुप्ता, नेहा पांडेय, प्रणव चौधरी, रोहित प्रजापति और मनोज कुमार सिंह। इस फिल्म के निर्माता भी मनोज कुमार सिंह ही है।
सारे कलाकार नए हैं, बॉक्स-ऑफिस पर क्या उम्मीद करते हैं ?
— नए लोगों की सोच नई रहती है। फिर हमारी फिल्म की कथानक बड़ा ही दिलचस्प है, जिसे प्रशांत गिलवर ने लिखा है। हम उम्मीद करते हैं, यह फिल्म सबको पसंद आएगी।
गाना बजाना कैसा है ?
बहुत बढ़िया। उपेन्द्र पाठक और बुल्लु घोष का म्युजिक मेलोडियस हैं। पित्रूस के लिखे सातों गाने अच्छे हैं। रिया सोनिया पर फिल्माया आइटम गीत भी हटकर है। फिल्म म्युजिकल है। श्रवण ठाकुर की कोरियाग्राफी अच्छी है राज वर्मा रुपक की फोटोग्राफी सुंदर है। मनोज रोहतासी का एक्शन कमाल का है। कुल मिलाकर ‘भाई के खातिर’ एक पूरी मसाला फिल्म है, मगर है साफ-सुथरी व पारिवारिक है।

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