जैन तपस्वी हंसरत्न विजय जी महाराज ४८० दिन का उपवास १ नवंबर २०१५ को पूरा करेंगे
हंसरत्न विजय जी महाराज ने
सबसे पहले १८० दिन का उपवास पूरा किया जो तपस्या का सबसे ऊँचा और बड़ा
लेवल है। इन्होने तेरह साल की उम्र में गुरु आचार्य भुवन भानु सूरी से दीक्षा
ली थी। वो कच्छ के अधोही वागढ़ के रहने वाले हैं। इन्होने पिछले साल
२०१४ के फरवरी में १८० दिन का उपवास पूरा किया था जिसमे पारणा ( उपवास पूरा
कराना )के लिए २१ करोड़ की बोली लगी थी भक्तों में।
हंसरत्न विजय जी महाराज को
देखकर सिर्फ इन शब्दों का विचार मन में आता है -शांत ,शीतल ,आनंद। अब वो सबसे बड़ी
तपस्या कर रहे हैं जिसे गुणरत्न संवत्सर
तप कहा जाता है। इस तप को पिछले २५०० साल में किसे ने भी नहीं
किया है।
गुणरत्न संवत्सर तप ४८० दिन तक
करना पड़ता है। इस उपवास में १६ महीने लगते हैं। ये तप जैनिज़्म के इतिहास में सबसे
कठिन तप है।जैनिज़्म के इतिहास में सिर्फ पांच साधु जिसमे भगवान महावीर
भी हैं, ने इतना कठिन
तप किया है और वो भी २५०० साल पहले।
हंसरत्न विजय जी एक नवंबर २०१५ को इस
ऐतिहासिक तपस्या को पूरा करेंगे।
मेडिकल
विज्ञानं के अनुसार एक आदमी बिना भोजन
के सिर्फ ४५ दिन तक जीवित रह सकता
है। इसके आगे जीवित रहना सोच से परे है।
इनका सोनोग्राफी किया गया और पता
चला की पेट में अन्न का एक भी दाना नहीं
है और पेट एकदम ठीक है। हंसरत्न
विजय जी महाराज की कठोर तपस्या ने सभी
को आस्चर्यचकित कर दिया है।
हंसरत्न विजय जी महाराज ने
बताया की मैं दुनिया में शांति और अमन चाहता हूँ। हर इंसान के अंदर
पॉज़िटिव एनर्जी हो और नेगेटिव एनर्जी का नाश हो। हमें लगता है की इनका नाम सभी
वर्ल्ड रिकॉर्ड में आना चाहिए।
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