नशा मुक्ति हो परिवार, सुखी रहे सारा संसार
नशा करना आज समान का फैशन बन गया है। कई सालों पहले
तक नशाखोरी सामाजिक अपराध मानी जाती थी, मगर आधुनिकता की होड़ में यह फैशन-सा बन गया है।
शराब, चरस, गांजा, अफीम, सीगारेट, तंबाखू, गुटखा आज रोजमर्रा के
जीवन में आवश्यक-सा हो गया है, सीगारेट का धूंआ उड़ाना, गुटके के पाकीट खोलकर मुंह में डालना और विशेषकर
शराब पीने के बाद तो यह मर्दाना शान या पहचान जैसी बात बन गई है, मगर इन बातों का प्रभाव
जब व्यक्ति के जीवन पर प्रत्यक्ष रुप से पड़ता है, मगर तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।
नशा करने वाले व्यक्ति को जब तक उसकी जरुरत की वस्तु
नहीं मिल जाती, वह बेचैन रहता है, मगर जैसे ही उसकी जरुरत पूरी हो जाती है, वह सामान्यसा हो जाता
है। सीगारेट,
तंबाखु, गुटका या शराब जैसी नशीली साम्रगियो को आम तौर पर लोग नशीली वस्तु
नहीं मानते और चरस, अफीम, गांजा आदि को नशीली वस्तु मानते है,
यही उनकी भूल होती, क्योंकि नशा करने वाले को इस बात का अहसास ही नहीं
होता कि नशीली वस्तु इंसान के शरीर में धीरे-धीरे असर करने के साथ-साथ मन-मस्तिष्क
पर भी अपना असर डालती है और आगे चलकर ऐसी हालत पैदी कर देती है कि नशा करने वाला व्यक्ति
पूरी तरह से नशा का गुलाम बनकर तड़पने लगता है।
नशा
मुक्ति की दिशा में राजस्थान औषधालय प्रा. लि. ने अत्यावश्यक कदम उठाया है। इस सराहनीय
कदम से कई सफल परिणाम सामने आए है। उनके द्वारा उठाए गए सराहणीय कदम का ही परिणाम रहा
कि ‘शराब छुडाए, शराबी को बिना बताए’ जैसा प्रचार आज लोगों की जुबान
पर है।
राजस्थान
औषधालय द्वारा तैयार नशा मुक्ति की दवा ‘सुरारी’ के अदभूत परिणाम और चत्मकार सामने आए है। यही कारण
है कि आज शराब छुड़ाने की दवा करने वाले तांत्रिक, साधु तक इसी दवा का उपयोग
करके सफलता हासिल कर रहे है। सुरारी नामक दवा का केवल शराब बल्कि नशा करने वाले किसी
भी वस्तु से मुक्ति करती है और नशा करने वाला व्यक्ति कुछ ही दिनों में नशे से मुक्त
हो जाता है।
मरीज
को बिना बताएं उसके खाने में दवा मिलाए और पहले सप्ताह से ही अच्छे परिणाम मिलने शुरु
हो जाते है। एक माह के बाद शराब पूर्णतया छोड़ देता है। समाज के लिए ‘सुरारी’
वरदान साबित हुई है। अब तक इस दवा से १० लाख से अधिक व्यक्तियों को पूर्णतया नशा मुक्त
किया जा चुका है और इसके परिणाम निरंतर जारी है। राजस्थान के राज्यपाल की तरफ से नशा मुक्ति
जैसे सामाजिक कार्य के लिए डॉ. एस. डी. चोपदार को पुरस्कार प्राप्त हुए है। इसके अलावा
भारत सरकार की तरफ भी कई पुरस्कार राजस्थान औषधालय को मिले है।
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