‘ई कईसन बिदाई’ का सूरज एक जांबाज नौजवान है – समीर खान
प्रतिष्ठा
के साथ जन्तुविज्ञान स्नातक (जूलॉजी ऑनर्स) समीर खान भोजपुरी सिनेमा की एक नई
उपलब्धि हैं। मांझा गढ़, गोपालगंज (बिहार) से नई दिल्ली की
उड़ान तो समीर ने सिविल सर्विस की तैयारी के लिए भरी थी, पर
वहां श्रीराम सेंटर और राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के कुछ कलाकार छात्रों से निकटता
ने समीर के ह्रदय में भी कला की कूक भर दी। बस, एक प्रशासनिक
अधिकारी बनने की आकांशी युवक एक अभिनेता बनने की तैयारी में लग गया। चोरी-चोरी
चुपके-चुपके कुछ स्टंट, कुछ स्टेप्स भी सिख लिए। फिर, एक संयोग भी बना और समीर खान को लेकर एक फिल्म शुरु भी हो गई। फिल्म का
शीर्षक था – ‘आपन गऊंवा में हमरो परान बसेला’। फिल्म ने कमाल तो नहीं किया, पर उससे समीर के कमाल
करने का रास्ता खुल गया। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से ही रेपिटरी ग्रुप में निर्देश
की मुकम्मल तैयारी में लगे साहिल सन्नी ने एक फिल्म शुरु कर दी ‘ई कईसन विदाई’। फिल्म बस अगले माह प्रदर्शित
होनेवाली है। समीर ने इसी संदर्भ में एक संक्षिप्त बातचीत हुई। प्रस्तुत है बातचीत
के अंश –
‘ई कईसन विदाई’ में कैसी भूमिका है ?
एक
पैसेवाले का बेटा है सूरज, जो लाड-प्यार में कुछ ज्यादा ही
शोख है। पढ़ाई पूरी करके वह गांव लौटता है। एक घटनाक्रम में दुकान पर बैठने वाली
एक गरीब लड़की से उसको लगाव हो जाता है। आगे बड़ी नाटकीयता है। सूरज को मैंने
निभाया है। बड़ा अच्छा रोल था। वह एक जांबाज नौजवान है।
यह
शीर्षक ‘ई कईसन विदाई’ किस संदर्भ में है ?
यहां
विदाई बेटी की बिदाई से नहीं है। सूरज उस लड़की को ब्यार कर ले आता है। पर
सुहागरात तो ही एक दुखद घटना घटती है कि...
कौन
लड़का मर जाता है या लड़की ...?
इसके लिए
आप फिल्म देंखे।
इस
फिल्म से क्या-क्या आस लगाई है आपने?
इतनी तो
उम्मीद है कि एक एक्टर के रुप में यह फिल्म मुझे जरुर स्थापित कर देगी।
इसके
आगे ?
निर्देशक
साहिल सन्नी के साथ ही ‘कसम बा तोहरा प्यार के’।
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