अमिताभ कहते हैं कि जीवन में बिना संघर्ष के कुछ हासिल नहीं होता

 अपनी जीवनयात्रा और वर्तमान को अमिताभ किस रूप में देखते हैं! वह कहते हैं कि जीवन में बिना संघर्ष किए कुछ भी हासिल नहीं होता। जीवन में कई बार कठोर और सुखद प्रश्न सामने आते हैं और उसी के अनुसार फैसले लेने पड़ते हैं। यह उतार-चढ़ाव जीवन में लगा रहता है। मैंने कभी इस और ध्यान नहीं दिया। अपने फैसलों के बारे में ज्यादा नहीं सोचा। पिताजी कहा करते थे-जो बीत गई, वह बात गई और फिर आगे बढ़ें। मुझे सिर्फ इतना पता है कि जो भी मेरे साथ घटित हुआ, वह दु:खद रहा हो या सुखद, उससे मैंने क्या सीखा! यदि मैं उन संकट के क्षणों से निकल पाया तो यह अवश्य समझने की कोशिश की कि क्यों संकट के वे क्षण मेरी ज़िंदगी में आए। इनपर सोच-विचार करने पर ऐसा लगा कि मैंने कुछ सीखा हो। अगर आप मुझसे पूछें कि क्या अपना जीवन दोबारा ही ऐसे जीना चाहोगे या उसमें परिवर्तन लाना चाहोगे तो मेरा जवाब होगा कि मैं उसे वैसे के वैसे ही जीना चाहूंगा। अमिताभ कहते हैं कि मैं अपने जीवन में अभिभावकों के सर्वश्रेष्ठ गुणों, बाबू जी की पारंपरिकता और मां की खुली मानसिकता को आत्मसात करने की कोशिश की। मेरे वे दोस्त, जो मुझे अभिनेता बनने से पहले ही जानते हैं, कहते हैं कि पहले मैं अधिक खुला और बिंदास था। दरअसल, सार्वजनिक छवि बनने के बाद आपका व्यवहार अपने आप ही नियंत्रित हो जाता है।

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