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Showing posts from April, 2013

माधुरी नंतर आता प्रियंका करतेय एक्सर्ट ची जाहिरात

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धर्क धर्क गर्ल माधुरी दीक्षित नेने ने चित्रपटात काम मिळत नसल्यामुळे चक्क काम वाली बाईच्या नख-यामध्ये चक्क एक्सर्ट ची जाहिरात करुन भांडी कशी साफ करावी हे दाखविले होते व आता प्रियंका चोप्रा ची देखील तीच अवस्था झाली आहे. बॉलीवुड मध्ये चित्रपट मिळत नसल्यामुळे प्रियंका चोप्रा एकामागून एक जाहिरातीच्या दुनियेत चमकत आहे व तीने चक्क एक्सर्ट देखील जाहिरात केली आहे.

प्रियंका चोप्रा ने केली राधे मां ची नकल

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बॉलीवुडच्या दुनियेत तर सध्या नकली करण्याच्या धंदा एकदम जोरात सुरु झाला आहे. आता बघा ना हॉट अंदाज गर्ल ने चक्क पेप्सी ह्या थंड पेय जाहिराती साठी चक्क राधे मां ची स्टाइल मारली आहे. एवढचं काय तर प्रियंका चोप्रा ने वेशभूषा देखील राधे मां सारखीच केली होती.

filmy news - 20-4-2013

करप्शन पर आवाज उठाएंगे अक्षय कुमार मानो या ना मानो , लेकिन यह खबर सौ प्रतिशत सच है कि खिलाडियों के खिलाडी अब करप्शन के अहम मुद्दे पर आवाज उठाने वाले है। अरे भाई , यह अक्षय कुमार के रियल लाइफ में नहीं होने जा रहा है , बल्कि फिल्मी दुनिया की रिल लाइफ में होने जा रहा है। दरअसल , संजय लीला भंसाली की नई फिल्म गब्बर में अक्षय कुमार मुख्य किरदार निभाने वाले है और इस फिल्म की कहानी करप्शन के मुद्दे पर आधारित है।  रितिक और कैटरीना का एक्शन अंदाज एक बार फिर से बॉलीवुड के दो बेहद खूबसूरत सितारे परदे पर प्रेमी-प्रेमिका के रूप में दिखाई पड़ेंगे। फिल्म बैंग-बैंग में रितिक रोशन और कैटरीना कैफ एक-दूसरे के अपोजिट नजर आने वाले हैं। दरअसल , यह फिल्म हॉलीवुड की हिट फिल्म नाइट एंड डे की हिंदी रीमेक है। जिसमें हीरो-हिरोईन एक्शन करते हैं और पागलों की तरह डांस करते हैं। साथ ही एक-दूसरे से ढेर सारा प्यार भी करते हैं।  अमिताभ बच्चन और नसीरुद्दीन शाह का बदला अरे भाई यह खबर पूरी तरह से फिल्मी है। सुजोय घोष की नई फिल्म बदला में अमिताभ बच्चन , नसीरुद्दीन शाह और विद्या बालन मुख्य भूमिका में है औ

शताब्दी वर्षामध्ये तंबु मधील सिनेमा

दादासाहेब फाळकेंच्या कालखंडात डोकावणा-या आगामी मराठी चित्रपट टुरिंग टॉकीज व्दारे भारतीय चित्रपटसृष्टीच्या या शताब्दी वर्षात दादासाहेब फाळकेंना मानवंदना देण्यात येणार आहे. तृप्ती भोईर निर्मित व गजेंद्र अहिरे दिग्दर्शित टुरिंग टॉकीज हा चित्रपट १९ एप्रिल रोजी मुंबई मध्ये वरळीच्या खुल्या जांभोरी मैदानात तसेच पुणे व गोवा येथील खुल्या मैदानात कापडाच्या तंबूमध्ये प्रदर्शित केला जाणार आहे.  भारतीय चित्रपट सृष्टीचे जनक दादासाहेब फाळके आणि इतर निर्माते १०० वर्षापूर्वी त्यांचे चित्रपट अशाच प्रकारे कापडाच्या तंबूमध्ये प्रदर्शित करत. कारण त्याकाळात चित्रपटगृह नव्हते. जत्रा किंवा यात्रामधून तंबूत दाखविल्या जाणारा फिरत्या सिनेमाचा इतिहास जमा होत चाललेल्या परंपरेचा मागोवा तृप्ती भोईर निर्मित व गजेंद्र अहिरे दिग्दर्शित टुरिंग टॉकीज ह्या चित्रपटा द्वारे घेतला जाणार आहे. हा अविस्मणीय अनुभव शहरी लोकांना घेता येणार आहे.

शिर्डी के साईबाबा और लता मंगेशकर

मानो या ना मानो , लेकिन यह खबर सौ प्रतिशत सच है। दरअसल , स्वर कोकिला लता मंगेशकर की शिर्डी के साईबाबा पर बहुत ही श्रद्धा है और जब कभी रात में नींद टूट जाती है तो वह शिर्डी के साईबाबा का स्मरण करती है। लताजी के मुताबिक जब उनकी छोटी बहन मीना बहुत बीमार थी और चलते नहीं बनता था। कमर में बहुत दर्द रहता था और लकवे के आसार थे। कई डॉक्टरों को दिखाया गया , लेकिन कोई दवा काम नहीं कर रही थी। मैं बहुत परेशान थी , बहन की हालात देखी नहीं जाती थी। हार-थककर एक रात मैंने साईबाबा से प्रार्थना कि बाबा , मेरी बहन को ठिक कर दो और अगले दिन से मीना ठीक होने लगी। इसी तरह धीरे-धीरे चलने लगी और फिर एकदम तंदुरुस्त हो गई।

३ मई को मिलेगा बॉलीवुड के सबसे बड़े विलेन प्राण को दादासाहब फाल्के एवार्ड

  भारतीय सिनेमा को सौ साल पूरे होने पर ९३ साल की उम्र में चरित्र अभिनेता प्राण को दादासाहब फाल्के पुरस्कार ३ मई को दिया जाएगा। फिल्म ' यमला जट ' के जरिए अभिनय की दुनिया में प्रवेश करने वाले प्राण शुरुआती दौर में लाहौर में फोटोग्राफी किया करते थे।   बॉलीवुड के जानकार कहते है कि साठ और सत्तर का दशक प्राणवान था , क्योंकि फिल्म वही सफल होती , जिसमें प्राण हों। इतना ही नहीं , तो हर सफल फिल्म की कहानी में प्राण होना अनिवार्य था। मधुमती , जिद्दी , राम और श्याम , उपकार , नसीब , जंजीर जैसी कई फिल्मों में प्राण साहब ने अपनी भूमिकाओं में सही मायने में जान ही डाल दी थी। इतना ही नहीं तो फिल्म बॉबी के लिए प्राण साहब ने सिर्फ १ रुपया ही फीस ली थी। प्राण ने हिंदी और पंजाबी फिल्मों के अलावा बंगाली फिल्मों में भी काम किया है।