Posts

Showing posts from February, 2015

अंजलि श्रीवास्तव का जलवा

Image
आजकल अंजलि श्रीवास्तव का जलवा शबाब पर है। इन दिनों अंजलि भोजपुरी फिल्म ‘ कहूं त $ दिल में बा ’ की शूटिंग में व्यस्त है , जिसमें उनके साथ एक नवोदित नौजवान आदित्य कश्यप हीरो है। अंजलि आदित्य पर कुछ रोमांटिक गाने फिल्माए जा रहे है। इलाहाबादी कन्या अंजलि श्रीवास्तव कहती है   -- जब मैं पहली बार भोजपुरी फिल्म कर रही थी , तो तरह-तरह की बातें बताई जा रही थी कि भोजपुरी फिल्में और भोजपुरियां माहौल ऐसा होता है , वैसा होता है। लेकिन मुझे तो सबकुछ अच्छा और रोचक लगा। इस फिल्म उद्योग के लोग भी बड़े सहयोगी है। यहां स्मरण करा दें , अंजलि श्रीवास्तव की पहली भोजपुरी फिल्म थी ‘ गईल भईसिया पानी में ’ जिसमें पवन सिंह नायक थे। इसके बाद तो अंजलि को लगातार फिल्मेंम मिलती रही। मंजुल ठाकूर द्वारा निर्देशित ‘ लहु के दो रंग ’ और ‘ कच्चे धागे ’ में अंजलि श्रीवास्तव ने प्रशंसनीय अभिनय किया है। इन दोनों में ही खंसारीलाल यादव हीरो थे। फिर दिनेश यादव के निर्देशन में बनी – ‘ दीवानगी हद से ’ में अंजलि ने राकेश मिश्रा के साथ काम किया। किशोर महतो की फिल्म ‘ हमके दारु नाही मेहरारु चाही ’ में भी अंजलि ने क

जीतेंद्र दबंग शुक्ला की ‘दहाड़’

Image
जीतेंद्र शुक्ला दहाड़ अथवा विनीत भाव से हाथ जोड़कर नमस्ते करे। उनके व्यक्तित्व में कुछ बात ऐसी है , जिससे प्रभावित हुए बिना आप रह नहीं सके। जीतेंद्र शुक्ला का व्यक्तित्व जितना प्रभावशाली है , उनकी अभिनय प्रतिभा भी उतना ही कुशाग्र है। रामसूरत प्रजापति के निर्देशन में बनी भोजपुरी फिल्म ‘ आया दबंग दरोगा ’ में वह सचमुच के दबंग लगते है। यद्दपि उनकी भूमिका नकारात्मकहै , तथापि उनका परफॉर्मेंस हीरो को कांटे की टक्कर देता है। हीरो अविनाश शाही ने भी शुक्ला के अभिनय की प्रशंसा की , सेट पर उपस्थित लोगों ने तालियां पीटी। ‘ आया दबंग दरोगा ’ में अविनाश-जीतेंद्र दोनों दरोगा है , लेकिन निगेटिव कृत्यों में श्रीशुक्ला छा जाते है , वह बोलते नहीं दहाड़ते है और एक अदभुत संयोग यह भी है कि जीतेंद्र शुक्ला ‘ दहाड़ ’ नाम की एक फिल्म भी करने जा रहे है। उसमें भी उनका निगेटिव रोल है। उनकी यह ‘ दहाड़ ’ मिथिलेश अविनाश की फिल्म ‘ डेण्जर ’ में और भी डैण्जरस रुप में दिखाई देगी। इसमेंम जीतेंद्र शुक्ला ने ‘ तेजा ’ की भूमिका निभाई है। जीतेंद्र शुक्ला से पूछा गया – हर बार निगेटिव रोल ही क्यों ? वह

‘डेण्जरस’ है अक्षय यादव

Image
भोजपुरी फिल्मोद्योग में हाल के वर्षों में जो चेहरे कुछ नया कर दिखाने में सफल रहे हैं , उनमें अक्षय यादव का नाम तेजी से आगे आया है। अक्षय नए नहीं है , लेकिन चुन-चुनकर काम करते रहने की वजह से वह निरंतर परदे पर सक्रिय नहीं रह पाए। दूसरी तरफ उनके मन मुताबिक काम का नहीं मिलना भी बीच-बीच में ओझल रहने का कारण रहा। रजतपट पर अक्षय यादव का पर्दापण तो एक दशक पूर्व ही मनोज तिवारी स्टारर ‘ भईया हमार ’ से हो चुका था। फिर उसके बाद ‘ लागी छूटे ना ’ में भी वह दिखाई पड़े। लेकिन उनके अंतर के अभिनेता की इच्छाएं दमित ही रह गई। आगे अक्षय को महुआ टीवी का चर्चित धारावाहिक ‘ बड़की मलकाईन ’ में एक बड़ी भूमिका मिल गई। जवाहिर के रुप में अक्षय यादव टीवी पर एक लंबे अर्से तक छाए रहे। उसके बाद हिंदी धारावाहिक ‘ बेटियां ’ और ‘ बालिका वधू ’ में भी उनको अच्छा काम मिला। अक्षय टीवी पर काम करके पैसे तो कमा रहे थे , लेकिन उनको अंदर का कलाकार संतुष्ट नहीं था। उधर जिस तरह की भूमिकाएं उनको फिल्मों में ऑफर हो रही रही थी , वह और भी दु : खदायी था। यद्यपि उनको ग्रेसी सिंह के साथ लाला दमानी की फिल्म ‘ राधा कैसे ना