अमिताभ बच्चन का फिल्मी इतिहास

अमिताभ बच्चन का फिल्मी इतिहास
जन्म दिन – 11 अक्टूबर
पहला नाम - इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश, में जन्मे अमिताभ बच्चन हिंदू कायस्थ परिवार से संबंध रखते हैं। उनके पिता, डॉ. हरिवंश राय बच्चन प्रसिद्ध हिन्दी कवि थे, जबकि उनकी माँ तेजी बच्चन कराची के सिख परिवार से संबंध रखती थीं।[आरंभ में बच्चन का नाम इंकलाब रखा गया था जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान प्रयोग में किए गए प्रेरित वाक्यांश इंकलाब जिंदाबाद से लिया गया था। लेकिन बाद में इनका फिर से अमिताभ नाम रख दिया गया जिसका अर्थ है, "ऐसा प्रकाश जो कभी नहीं बुझेगा"। यद्यपि इनका अंतिम नाम श्रीवास्तव था फिर भी इनके पिता ने इस उपनाम को अपने कृतियों को प्रकाशित करने वाले बच्चन नाम से उद्धृत किया।
शिक्षा और नौकरी - बच्चन ने दो बार एम. ए. की उपाधि ग्रहण की है। मास्टर ऑफ आर्ट्स (स्नातकोत्तर) इन्होंने इलाहाबाद के ज्ञान प्रबोधिनी और बॉयज़ हाई स्कूल (बीएचएस) तथा उसके बाद नैनीताल के शेरवुड कॉलेज में पढ़ाई की जहाँ कला संकाय में प्रवेश दिलाया गया। अमिताभ बाद में अध्ययन करने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज चले गए जहां इन्होंने विज्ञान स्नातक की उपाधि प्राप्त की। अपनी आयु के २० के दशक में बच्चन ने अभियन में अपना कैरियर आजमाने के लिए कोलकता की एक शिपिंग फर्म बर्ड एंड कंपनी की नौकरी छोड़ दी।
शादी - ३ जून, १९७३ को इन्होंने बंगाली संस्कार के अनुसार अभिनेत्री जया भादुड़ी से विवाह कर लिया। इस दंपती को दो बच्चों: बेटी श्वेता और पुत्र अभिषेक पैदा हुए।
पहली फिल्म और पुरस्कार - बच्चन ने फिल्मों में अपने कैरियर की शुरूआत ख्वाज़ा अहमद अब्बास के निर्देशन में बनी सात हिंदुस्तानी के सात कलाकारों में एक कलाकार के रूप में की, उत्पल दत्त, मधु और जलाल आगा जैसे कलाकारों के साथ अभिनय कर के। फ़िल्म ने वित्तीय सफ़लता प्राप्त नहीं की पर बच्चन ने अपनी पहली फ़िल्म के लिए राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ नवागंतुक का पुरूस्कार जीता।
एंग्री यंगमैन - 1973 में जब प्रकाश मेहरा ने इन्हें अपनी फिल्म जंजीर में इंस्पेक्टर विजय की भूमिका के रूप में अवसर दिया तो यहीं से इनके कैरियर में प्रगति का नया मोड़ आया। यह फ़िल्म इससे पूर्व के रोमांस भरे सार के प्रति कटाक्ष था जिसने अमिताभ बच्चन को एक नई भूमिका एंग्री यंगमैन में देखा जो बालीवुड के एक्शन हीरो बन गए थे। बॉक्स ऑफिस पर सफलता पाने वाले एक जबरदस्त अभिनेता के रूप में यह उनकी पहली फिल्म थी, जिसने उन्हें सर्वश्रेष्‍ठ पुरूष कलाकार फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए मनोनीत करवाया।
शोले - 15 अगस्त, 1975 को रिलीज शोले हुई और भारत में किसी भी समय की सबसे ज्यादा आय अर्जित करने वाली फिल्‍म बन गई है जिसने 2,36,45,00000 रुपए कमाए जो मुद्रास्फीति को समायोजित करने के बाद 60 मिलियन अमरीकी डालर के बराबर हैं। बच्चन ने इंडस्ट्री के कुछ शीर्ष के कलाकारों जैसे धर्मेन्‍द्र, हेमा मालिनी, संजीव कुमार, जया बच्चन और अमजद खान के साथ जय की भूमिका अदा की थी। बॉक्स ऑफिस पर शोले जैसी फिल्मों की जबरदस्त सफलता के बाद बच्चन ने अब तक अपनी स्थिति को मजबूत कर लिया था और 1976 से 1984 तक उन्हें अनेक सर्वश्रेष्ठ कलाकार वाले फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार और अन्य पुरस्कार एवं ख्याति मिली।
हालांकि शोले जैसी फिल्मों ने बालीवुड में उसके लिए पहले से ही महान एक्शन नायक का दर्जा पक्का कर दिया था, फिर भी बच्चन ने कभी कभी, अमर अकबर एन्थनी, चुपके चुपके, कस्में वादे, डॉन, त्रिशूल, मुकद्दर का सिकंदर दीवार, मि० नटवरलाल, काला पत्थर, दोस्ताना, सिलसिला, राम बलराम, शान, लावारिस, शक्ति जैसी फिल्में की।
फिल्म कुली और चोट - 1982 में कुली फिल्म में बच्चन ने अपने सह कलाकार पुनीत इस्सर के साथ एक फाइट की शूटिंग के दौरान अपनी आंतों को लगभग घायल कर लिया था। बच्चन ने इस फिल्म में स्टंट अपनी मर्जी से करने की छूट ले ली थी जिसके एक सीन में इन्हें मेज पर गिरना था और उसके बाद जमीन पर गिरना था। हालांकि जैसे ही ये मेज की ओर कूदे तब मेज का कोना इनके पेट से टकराया जिससे इनके आंतों को चोट पहुंची और इनके शरीर से काफी खून बह निकला था। कई महीनों तक अस्पताल में भर्ती रहे और कई बार मौत के मुंह में जाते जाते बचे। यह फिल्म 1983 में रिलीज हुई और आंशिक तौर पर बच्चन की दुर्घटना के असीम प्रचार के कारण बॉक्स ऑफिस पर सफल रही।
राजनीति - अपने पुराने मित्र राजीव गांधी के सपोर्ट से 1984 में अमिताभ ने अभिनय से कुछ समय के लिए विश्राम ले लिया और राजनीति में कूद पड़े। उन्होंने इलाहाबाद लोक सभा सीट से उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एच.एन. बहुगुणा को चुनाव में हराया था। हालांकि इनका राजनैतिक कैरियर कुछ अवधि के लिए ही था, जिसके 3 साल बाद इन्होंने अपनी राजनैतिक अवधि को पूरा किए बिना त्याग दिया।
राजनीति के बाद फिल्मों में वापसी - 1988 में तीन साल की राजनैतिक यात्रा के बाद अमिताभ वापस लौट आए और फिल्म शहंशाह में शीर्षक भूमिका की, जो बच्चन की वापसी के चलते बॉक्स आफिस पर हिट रही। इसके बाद हम, अग्निपथ, खुदागवाह, बड़े मियाँ छोटे मियाँ, सूर्यावंशम, लाल बादशाह, हिंदुस्तान की कसम जैसी फिल्में आई।
सुपरहिट टेलीविजन शो - कौन बनेगा करोड़पति इस कार्यक्रम से गहरी सफलता मिली। यह माना जाता है कि बच्चन ने इस कार्यक्रम के संचालन के लिए साप्ताहिक प्रकरण के लिए अत्यधिक 25 लाख रुपए लिए थे, जिसके कारण बच्चन और उनके परिवार को नैतिक और आर्थिक दोनों रूप से बल मिला। इससे पहले एबीसीएल के बुरी तरह असफल हो जाने से अमिताभ को गहरे झटके लगे थे। नवंबर 2000 में केनरा बैंक ने भी इनके खिलाफ अपने मुकदमे को वापस ले लिया। बच्चन ने केबीसी का आयोजन नवंबर २००५ तक किया और इसकी सफलता ने फिल्म की लोकप्रियता के प्रति इनके द्वार फिर से खोल दिए।
अन्य फिल्में - साल 2000 में अमिताभ बच्चन फिल्म मोहब्बतें शाहरुख खान के साथ की। इसके बाद कभी ख़ुशी कभी ग़म, बागबान, अक्स, आंखें, ब्लैक, बंटी और बबली, सरकार, कभी अलविदा ना कहना जैसी हिट फिल्मों में स्टार कलाकार की भूमिका की। ये सभी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर अत्यधिक सफल रहीं। साथ ही बाबुल एकलव्य, नि:शब्द, चीनी कम, शूटआउट एट लोखंडवाला, सरकार राज जैसी फिल्में की।

Comments

Sanjay Verma said…
अमिताभ बच्चन का फिल्मी इतिहास" Its very to the point information about Big B.... I am loving it.......


Sanjay Verma

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